Health

डॉक्टर्स डे पर विशेष

कोरोना जैसी त्रासदी के समय मे जिस प्रकार डॉक्टर्स ने अपनी जान की परवाह ना करते हुए पीड़ितों का इलाज किया है वो काबिले तारीफ है। 

इसीलिए डॉक्टर्स को भगवान का रूप कहा जाता है।एक बच्चे के जन्म से लेकर लोगो की जान बचाने तक कई बार डॉक्टर एक भगवान का रूप ही होते है।
बहुत से डॉक्टर ऐसे भी है जो जीवन और मृत्यु को पैसे से तौलते है और मरीज उनके लिए किसी ग्राहक से कम नही होता है।
लेकिन कुछ डॉक्टर ऐसे भी होते है जो अपने पेशे को ईमानदारी से निभाते है। 
ऐसे ही एक डॉक्टर जो मेरी भी जिंदगी में एक अहम भूमिका निभाते है उनका नाम है श्री एस.सी शर्मा ।
मेरे पापा की साँसों को चलाने में उनका ही योगदान था। अगर वो नही होते तो शायद पापा का साथ बहुत साल पहले ही छूट गया होता।
पापा की आखिरी साँस तक मुझे यही उम्मीद थी अगर कोई डॉक्टर साहब को बुला दे तो पापा बच जाएंगे। खैर, भगवान की इच्छा के आगे हम सब कुछ नही कर सकते।
जितना प्यार मामाजी (डॉ. शर्मा) ने हम सबको दिया वो इस जन्म में मैं तो कभी नही भूलूंगी।
हमेशा उनकी आभारी हूँ। वो मेरे लिए भगवान का एक रूप है। उनको देखकर मैं कह सकती हूँ कि मैने भगवान को उनके रूप में देखा है।
वो एक डॉक्टर के रूप में तो आदर्श है ही, एक पिता के रूप में भी आदर्श है।
भगवान ने बच्चे के जन्म की जिम्मेदारी डॉक्टर को देकर उनको भगवान का एक रूप ही बनाया है।
मेरा आज का ये लेख मामाजी डॉ.एस. सी शर्मा को समर्पित है।
मैं भगवान से उनकी दीर्घायु तथा अच्छे स्वास्थ्य की प्रार्थना करती हूँ।
आइये जानते है कि डॉक्टर्स डे क्यों मनाया जाता है?
भारत मे हर साल एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जाता है। भारत के महान चिकित्सक और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री डॉक्टर बिधानचंद्र रॉय को सम्मान और श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए भी यह दिवस मनाया जाता है।
डॉ बिधानचंद्र रॉय का जन्म 1 जुलाई 1882 को बिहार के पटना शहर में हुआ था। कोलकाता में अपनी मेडिकल पढ़ाई पूरी करने के बाद लंदन से एमआरसीपी और एफआरसीएस की उपाधि हासिल की।  कहा जाता है कि भारतीय होने की वजह से पहले उन्हें लंदन के सेंट बार्थोलोम्यू अस्पताल में दाखिला नहीं दियाा गया था, करीब डेढ़ महीने तक डीन के पास आवेदन करते रहे, आखिर में डीन ने हार मानकर 30वीं बार में उनका आवेदन स्वीकार कर लिया। रॉय इतने काबिल थे कि सवा दो साल में ही एक साथ फिजिशन और सर्जन की डिग्री हासिल कर ली।
लंदन से पढ़ाई पूरी करने के बाद रॉय भारत आ गए और 1911 में अपने चिकित्सकीय जीवन की शुरुआत की। भारत में चिकित्सा के क्षेत्र में उन्होंने बहुत नाम और सम्मान कमाया।साल 1961 में उन्हें सर्वोच्च नागरिक सम्मान भारत रत्न से नवाजा गया था. उन्हीं की याद में तत्कालीन केंद्र सरकार ने साल 1991 में नेशनल डॉक्टर्स डे मनाने का ऐलान किया था. तब से हर साल एक जुलाई को नेशनल डॉक्टर्स डे मनाया जा रहा है.
चिकित्सा क्षेत्र के अलावा रॉय राजनीति में भी रहे और पश्चिम बंगाल के दूसरे मुख्यमंत्री का पद भी संभाला।
80 साल की उम्र में उनके जन्मदिन वाले दिन 1 जुलाई 1962 को उनकी मृत्यु हो गई।
सभी डॉक्टर्स को डॉक्टर्स डे की बधाई!!